किसानों के आंदोलन पर Supreme Court का फैसला, नई याचिका पर नहीं होगी सुनवाई
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किसानों के आंदोलन को लेकर Supreme Court में एक नई याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने सुनने से मना कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि “हम इस मुद्दे पर दायर की गई नई याचिका पर सुनवाई नहीं करना चाहते हैं क्योंकि इस मामले पर पहले ही सुनवाई चल रही है और यह अदालत के संज्ञान में है। एक मामला पहले से ही लंबित है।” यह मामला किसान आंदोलन और इसके कारण होने वाली समस्याओं से संबंधित था, जो पंजाब और हरियाणा के शंभू सीमा पर चल रहा है।
याचिका में क्या मांग की गई थी?
यह जनहित याचिका (PIL) शंभू सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर दायर की गई थी। याचिका में केंद्र सरकार, पंजाब और हरियाणा सरकारों से यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि शंभू सीमा सहित अन्य राष्ट्रीय राजमार्गों को खोला जाए। याचिका में कहा गया कि इस प्रकार से राजमार्गों को अवरुद्ध करना जनता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और यह राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम तथा अन्य संबंधित कानूनों के तहत अपराध है। इसलिए, याचिकाकर्ता ने मांग की कि सड़क जाम करने वाले आंदोलकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकार से निर्देश की मांग
याचिका में यह भी कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार, पंजाब सरकार और हरियाणा सरकार से यह निर्देश जारी करे कि वे आंदोलनकारी किसानों को राजमार्गों से हटा दें ताकि आम जनता को परेशानी न हो। याचिका दायर करने वाले पंजाब के एक कार्यकर्ता ने केंद्र और राज्य सरकारों से किसानों के विरोध प्रदर्शनों को खत्म करने के लिए कदम उठाने की अपील की थी। इसके अलावा, याचिका में यह भी अनुरोध किया गया था कि केंद्र और राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि किसी भी प्रकार का विरोध प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक मार्गों की अवरोधन ना हो, ताकि सामान्य जनता को असुविधा का सामना न करना पड़े।
आंदोलन से आम जनता को हो रही परेशानी
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि किसानों के इस विरोध प्रदर्शन से राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे ट्रैक अवरुद्ध हो रहे हैं, जिससे सामान्य जनता को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। खासकर उन लोगों के लिए यह स्थिति अत्यंत कठिन हो रही है, जो इन मार्गों से यात्रा करते हैं। ट्रैफिक जाम, यात्रा में देरी, और सार्वजनिक परिवहन सेवाओं की बाधा जैसे कई मुद्दे सामने आ रहे हैं। इसके अलावा, याचिका में यह भी कहा गया कि यह प्रदर्शन सार्वजनिक सुरक्षा के लिए भी खतरे का कारण बन सकते हैं।
किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि
बता दें कि शंभू और खानाुरी सीमा पर किसानों का आंदोलन फरवरी 2024 से चल रहा है। यह आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा संगठन और किसान मजदूर मोर्चा द्वारा आयोजित किया गया था। किसान लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलित हैं, जिनमें कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, और अन्य कृषि सुधारों की मांग शामिल हैं।
किसानों का कहना है कि नए कृषि कानूनों ने उनकी आजीविका को खतरे में डाल दिया है और इस कारण से वे सड़कों पर उतरे हैं। उनके विरोध प्रदर्शन के कारण शंभू सीमा और आसपास के क्षेत्रों में यातायात प्रभावित हो रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पुलिस और सुरक्षा बलों ने रोकी दिल्ली की ओर किसान यात्रा
रविवार को, दिल्ली की ओर बढ़ने वाली किसान यात्रा को पुलिस और सुरक्षा बलों ने फिर से रोक दिया। शंभू सीमा पर किसानों ने मार्च की योजना बनाई थी, लेकिन सुरक्षा बलों ने उन्हें दिल्ली जाने से रोक दिया। यह घटनाक्रम एक बार फिर से इस आंदोलन के बढ़ने और इसके परिणामस्वरूप होने वाली असुविधाओं को दर्शाता है।
सुप्रीम कोर्ट की स्थिति और मौजूदा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने जब इस याचिका को खारिज किया, तो कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला पहले से ही अदालत में लंबित है और इसलिए इसमें किसी नई याचिका की सुनवाई की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि वह पहले से ही इस मुद्दे पर विचार कर रहा है और जब तक इस पर कोई निष्कर्ष नहीं निकलता, तब तक किसी नई याचिका की सुनवाई नहीं की जाएगी। यह निर्णय एक महत्वपूर्ण संकेत है कि सुप्रीम कोर्ट पहले से लंबित मामलों की गंभीरता को समझता है और वह पहले से दायर मामलों की सुनवाई में व्यस्त है।
आंदोलन और न्यायिक हस्तक्षेप
किसान आंदोलन के मामले में न्यायिक हस्तक्षेप हमेशा से ही एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। अदालतों ने कई बार इस प्रकार के मामलों में सरकारी एजेंसियों से जवाब मांगा है और आंदोलनों के दौरान उत्पन्न होने वाली सार्वजनिक समस्याओं का समाधान खोजने के लिए आदेश दिए हैं। हालांकि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि पहले से चल रहे मामलों में नई याचिका की सुनवाई की जरूरत नहीं है।
किसानों के आंदोलन का भविष्य
किसानों का यह आंदोलन लगातार जारी है और इसके प्रभाव हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में महसूस किए जा रहे हैं। हालांकि, इस आंदोलन का हल निकाले बिना इसके प्रभावों को कम करना मुश्किल है। आंदोलनकारी किसानों का मानना है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। वहीं, सरकार का कहना है कि किसानों से बातचीत जारी है और सभी संबंधित पक्षों को समाधान पर पहुंचने के लिए एक मंच पर लाया जाएगा।
किसान आंदोलन और इसके प्रभावों पर लगातार विवाद और कानूनी बहस हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीधे हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है, लेकिन अदालत के पहले से लंबित मामलों की सुनवाई जारी है। किसानों के आंदोलन का भविष्य अब इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार और किसान किस प्रकार से एक समझौते तक पहुंच पाते हैं। साथ ही, आंदोलन के कारण उत्पन्न हो रही समस्याओं का समाधान भी आवश्यक है ताकि आम जनता को राहत मिल सके।